1) इस मौजूदा भारत सरकार जिस के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी हैं ने सत्ता में आते ही पिछली सरकार द्वारा अपनाई गई एकाधिकार Monopolistic Trade Policy स्वर्ण आयात नीति जिसको 80:20 आयात नीति भी कहा जाता था । स्वर्णकारों द्वारा विरोध करने पर संज्ञान लेते हुए इस अन्याय पूर्वक एकाधिकार कारोबारी नीति को तुरंत खत्म कर दिया ।
2) सरकार ने स्वर्ण आयात नीति में एक अच्छी बात लगाई सोने का आयात ओर निर्यात ज्वेलरी निर्माण करने के लिए ही किया जा सकता है ताकि इससे देश में स्वर्णकार को काम बढ़ावा मिल सके ।
3) केंद्रीय मोदी सरकार ने FTA देशों से जीरो ड्यूटी पर आयात किए जा रहे सोने की वस्तु और ज्वेलरी पर ज्वेलरी इंडस्ट्री के भरपूर विरोध के चलते प्रतिबंध लगाया ताकि इस देश के अंदर बन रही ज्वेलरी को इससे कोई नुकसान ना हो सके और कारीगरों को बेरोजगार होने से रोका जा सके ।
4) भारत सरकार की जो स्वर्ण मेटल लोन GMLयोजना है इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों को भेजे गए अपने मास्टर सर्कुलर में यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना तहत स्वर्ण धातु केवल उनको मिलेगी जो स्वयं वास्तविक ज्वेलरी निर्माता है "Actual manufacturer of jewellery" जो लोग स्वयं वास्तविक ज्वेलरी निर्माता नहीं है उनको यह लोन नहीं मिल सकता है ।
5) सरकार द्वारा कपड़ा मंत्रालय के अंतर्गत डीसी हैंडीक्राफ्ट द्वारा भारत सरकार के "हस्तकला स्वर्णकार पहचान पत्र" जारी किए और उनको कपड़ा उद्योग हैंडीक्राफ्ट कारीगरों जैसे ही लाभ प्रदान करने की घोषणा की गई इस वित्तीय सहायता , कारोबार को बढ़ावा देने संबंधी तकनीकी सहायता उनके आभूषणों की प्रदर्शनी की सहायता और उसके परिवार के स्वास्थ्य बीमा संबंधी बहुत सी स्कीमें प्रदान की गई है जिसका समस्त स्वर्णकारओं ने स्वागत किया है ।
6) केंद्रीय सरकार द्वारा पहले ज्वेलरी की नगद बिक्री 50 हजार रुपए सीमित कर दी गई थी जिसे इंडस्ट्री ने बढ़ाने के लिए प्रतिवेदन दिया था जिसे मानते हुए यह सीमा ज्वेलरी कारोबारियों के लिए दो लाख रुपए कर दी है
7) स्वर्ण कारोबारियों पर एक्साइज की घोषणा होते ही मोदी सरकार का ज्वेलरी सेक्टर ने भरपूर विरोध किया अफसोस की इंडस्ट्री को निहित स्वार्थी लोगों ने गुमराह किया और अपना हित साधने के लिए स्वर्ण कारों का इस्तेमाल किया , केवल और केवल कुछ हजार लोग ही स्वर्ण ज्वेलरी पर लगी एक्साइज ड्यूटी के दायरे में आए थे इसके बारे में देश के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने सभी स्वर्णकार ज्वेलर्स कमेटियों को बुलाकर उनकी बात अशोक लहरी कमेटी में सुनी ।
8) स्वर्णकारों ने ज्वेलरी को हस्तकला घोषित करने के लिए आंदोलन चलाया हाई कोर्ट में अपील भी की स्वर्ण कारों की आपत्तियों को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने डीसी हैंडीक्राफ्ट की तरफ से क्लेरिफिकेशन पत्र भेजा की हाथ से बनी स्वर्ण ज्वैलरी हस्तकला ज्वेलरी है आज भी भारत सरकार इसे हस्तकला मानती है ।
9) जीएसटी लगते ही ज्वेलरी सेक्टर के बड़े कॉरपोरेट ने सरकार पर दबाव बनाया की ज्वेलरी कारीगर बनाते हैं उन्ही पर जीएसटी लगनी चाहिए । लेकिन प्रथम बार केंद्रीय सरकार ने कारीगरों को जॉब वर्कर का दर्जा दिया और व्यापारी जो अपना सोना देकर ज्वेलरी बनवाते हैं उनको प्रिंसिपल मैन्युफैक्चरर घोषित किया । इससे स्वर्ण कारीगरों को बहुत राहत मिली है हर तरह का कागजी कार्यवाही और जीएसटी भरना और जॉब वर्क पर जीएसटी भरने का भोज अब प्रिंसिपल मनफैक्चरर पर लाद दिया गया है जिसका स्वर्णकार ने भरपूर स्वागत किया है ।
10) सरकार ने स्वर्णकरो कि जीएसटी के बारे शिकायतें सुनने के लिए वित्त मंत्रालय में सेक्टरल ग्रुप बनाया और स्वर्ण कारों को आमंत्रित किया ।
11) जीएसटी के रजिस्टर्ड स्वर्णकारों ओर छोटे कारोबारियों का अपने प्रदेश से बाहर के प्रदेशों में ज्वेलरी बेचने जाने पर प्रतिबंध लग गया था और ज्वेलरी की सप्लाई का काम चंद लोगों के हाथों में आ गया था । सरकार ने नीति आयोग में ट्रांसफॉरमेशन आफ गोल्ड मार्केट कमेटी बनाई ओर उस कमेटी की मीटिंग में स्वर्णकारों ने कमेटी चैयरमेन वाटल जी के सन्मुख इसे तत्काल हटाने की मांग रखी । मीटिंग में ही मौजूद वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने इसका तुरंत संज्ञान लिया और उसी शाम इस पाबंदी को हटाते हुए क्लेरिफिकेशन सर्कुलर जारी किया , अब सभी जीएसटी में रजिस्टर्ड स्वर्णकार ज्वेलरी को अपने प्रदेश से दूसरे प्रदेशों में जाकर ऑन अप्रूवल माल या माल बेचने की इजाजत है सारे ज्वेलरी सेक्टर ने सरकार को धन्यवाद दिया ।
12) इस सरकार ने स्वर्णकार और सरकार के बीच स्वर्ण नीति को लेकर किसी भी तरह के गतिरोध को सदैव के लिए खत्म करने के लिए डोमेस्टिक कौंसिल आफ जेम्स एंड ज्वेलरी बनाई है जो सरकार को स्वर्ण नीति संबंधी सलाह देगी । और उनकी बैठकों में सरकार के तीन सचिव मौजूद रहा करेंगे ये कमेटी बन चुकी है और इसके संविधान का निर्माण ज्वेलरी सेक्टर से संबंधित सदस्य एडहॉक कर रहे हैं । डोमेस्टिक काउंसिल वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत बनेगी और ग्राम स्तर तक ज्वेलरी सेक्टर में कार्यरत हर संगठन व एसोसिएशन को इसके साथ जोड़ा जाएगा इसकी घोषणा स्वयं वाणिज्य उद्योग मंत्री ने की है ।
13) इस सरकार के वाणिज्य मंत्री ने सार्वजनिक घोषणा की है कि देश के गांव में भी हर गली के नुक्कड़ पर स्वर्णकार है हर स्वर्णकार को इस हर तरह की सहायता देकर उन के द्वारा बनाई गई ज्वेलरी को विदेशों में निर्यात करने के लिए सुविधाओं का साथ देकर जोड़ा जाएगा ।
14) हमने सरकार से निवेदन किया है की अभी केवल 24000 ज्वैलर हॉलमार्क में रजिस्टर्ड हुए हैं इसे तत्काल अनिवार्य ना किया जाए क्योंकि कोई भी सरकार 60 लाख 86000 लोगों को तत्काल कारोबार से बाहर नहीं कर सकती इसे 1-1 जिले में क्रमवार समस्त इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने के बाद ही किया जाए और 20 कैरेट की ज्वेलरी का निर्माण कर उसको हाल मार्क करवाने की इजाजत दी जाए ।
15) हॉल मार्किंग के बहाने इंडस्ट्री को कंट्रोल करने की कोशिश ना की जाए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बहाल रखना बहुत जरूरी है और बीआईएस पूरे विश्व में सफलतम यूके हॉलमार्क मॉडल को अपनाएं सरकार कारीगरों को इसके लाइसेंस लेने के दायरे से बाहर रखे स्वर्णकार कारोबार को किसी भी लाइसेंस से मुक्ति दी जानी चाहिए और हस्तशिल्प कलाकारी के कारोबार को अनावश्यक नियमों और कागजी भार आदि बोस से बचाया जाए ।
16) इस सरकार में स्वर्ण कारों की बात मानते हुए जीएसटी में वेट के मुकाबले में बहुत कम पेनल्टी का प्रावधान रखा है जहां बिना कागजात वेट के अंदर इसका माल की कीमत का 51% जुर्माना लगता था अब केवल तीन पर्सेंट जुर्माने का प्रावधान रखा गया है जो स्वागत योग्य है।
17) यह सरकार स्वर्ण कारों की सहायता के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर हर जिले में खोल रही है ।
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